Asarfi

Ballia : जनसेवक बाबू राजू राम को दी गई भावभीनी विदाई, शामिल हुए सैकड़ों बौद्ध भिक्षु और हजारों लोग

width="500"

सरकारी नौकरी छोड़ बिजनेस में उतरे डा. जयप्रकाश

सिकंदरपुर (बलिया)। रविवार का दिन संदवापुर गांव के लिए सिर्फ एक तारीख नहीं था, यह एक ऐसा पल था, जब पूरा गांव अपने प्रिय बेटा, साथी और मार्गदर्शक बाबू राजू राम को विदा करने के लिए गया। सुबह से ही गलियों में चुप्पी थी, लेकिन आंखों में भीगापन और मन में यादों का तूफान।

नेपाल के लुम्बिनी से लेकर बिहार के बोधगया, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और सारनाथ तक से सैकड़ों बौद्ध भिक्षु पहुंचे।

भगवा चोगा पहने भिक्षु गांव में प्रवेश किये। हर तरफ बस एक ही एहसास “आज हम एक ऐसे इंसान को अलविदा कह रहे हैं, जिसने जिंदगी भर दूसरों के लिए जिया।

सुबह से उमड़ी भीड़, रास्ते में ही रुक गए लोग
सुबह 6 बजे से ही लोग आने लगे। किसी के हाथ में माला, किसी के सिर पर फूल, और कई लोगों की आंखों में आंसू। गांव में जाने वाली सड़क जाम हो गयी। एक बुजुर्ग बोले, राजू बाबू ने कभी किसी को खाली हाथ नहीं लौटाया। उनके जाने से गांव का दिल खाली हो गया।

पुत्रों ने भिक्षुओं का स्वागत किया
बरामदे में सजी चौकी पर भिक्षु बैठे, सामने दीपक की लौ जल रही थी। पुत्र डॉ. जयप्रकाश राम, इंजीनियर चंद्रशेखर, चंद्रभान और सूर्यभान ने हाथ जोड़कर उनका स्वागत किया। शांति मंत्र गूंजे तो मानो हवा भी थम गई।

दान पत्र पाकर भावुक हुए भिक्षु
कार्यक्रम के अंत में परिवार ने परंपरा निभाते हुए भिक्षुओं को दानपत्र, अन्न और वस्त्र भेंट किए। कई भिक्षु आशीर्वाद देते वक्त भावुक हो उठे। सभा में वक्ताओं ने उनके योगदान को गिनाया, शिक्षा, सड़क निर्माण, गरीबों की मदद, सामाजिक जागरूकता, लेकिन इन सबसे बढ़कर उनकी इंसानियत। भीड़ में बैठे कई लोग धीरे-धीरे अपनी आंखें पोंछते नजर आए।

राजनीतिक दलों के नेता भी पहुंचे, दी श्रद्धांजलि
इस अवसर पर कई राजनीतिक दलों के नेताओ सहित पूर्व मंत्री व एक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मौजूद रहे। उन्होंने बाबू राजू राम के योगदान को याद करते हुए कहा कि वह सभी के लिए प्रेरणास्रोत थे। नेताओं ने उन्हें न केवल समाजसेवी बल्कि एक सच्चा जनसेवक बताया, जो हर वर्ग के लिए हमेशा खड़े रहे। बाबू राजू राम का सम्मान सिर्फ एक पार्टी या विचारधारा तक सीमित नहीं था सभी दलों के लोग उन्हें अपना मानते थे। कार्यक्रम के अंत में सभी लोग खड़ा हो कर दो मिनट का मौन रखा, मौन के बाद लोग एक-दूसरे से बस यही कह रहे थे अब हमें वही रास्ता अपनाना है, जिस पर बाबू राजू राम चले।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *