Asarfi

Ballia : गंगा कटान से उजड़ा चक्की नौरंगा, तीसरी बार बाढ़ में समाहित हुए दर्जनों मकान

width="500"

पीड़ितों के सामने नयी बस्ती बसाने का संकट, सरकार की मदद नाकाफी


हरेराम यादव,


मझौवां।
बैरिया तहसील क्षेत्र के गंगा उस पार बसे चक्की नौरंगा गांव में सोमवार की रात गंगा की उतरती लहरों ने विकराल रूप धारण कर लिया। लगातार हो रही सोहरा कटान में गांव के सात मकान नदी की धारा में समा गए। मंगलवार सुबह करीब 11 बजे एक और मकान धराशायी हो गया। अब तक गंगा की धारा करीब दो दर्जन से अधिक मकान निगल चुकी है।
कटान से प्रभावित परिवारों में भगवान राम, राजकुमार राम, परशुराम राम, छोटका राम, कमलेश राम, उधारी राम, विद्या राम, शिवजी राम और दयाल राम शामिल हैं, जिनके घर का अधिकांश हिस्सा गंगा में समा चुका है। मंगलवार को लाल बछिया देवी (पत्नी स्व. भृगुनाथ राम) का मकान भी नदी में विलीन हो गया।


स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरा गांव अब समाप्ति की कगार पर खड़ा है। विस्थापित परिवारों का दर्द यह है कि सरकार केवल राहत स्वरूप पैसा और राशन तो दे रही है, परंतु नई बस्ती बसाने का कोई ठोस इंतज़ाम नहीं है। लोग असमंजस में हैं कि नया घर कहाँ और कब बनेगा।
समाजसेवी रमाकांत ठाकुर ने बताया कि गांव में स्व. रामकुमार चौबे का एक घर है, जिसमें उनकी विधवा बहू, बूढ़ी सास और दो बच्चियाँ रह रही हैं। यह मकान गंगा के बिलकुल किनारे खड़ा है और कब गिर जाएगा, कहना मुश्किल है। पूरा गांव सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर चुका है, लेकिन यह दुखियारी महिला बेबस होकर अपने घर में ही रह रही है। उसका दर्द है “जाऊँ तो कहाँ जाऊँ, खाऊँ तो क्या खाऊँ।”
कटान की मार झेल रहे ऐसे कई परिवारों में केवल बुजुर्ग महिलाएँ ही बची हैं, जिनका कोई सहारा नहीं है। इनकी दुर्दशा देखकर लोग द्रवित हो रहे हैं और प्रशासन से ठोस राहत व पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।ं

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *