Ballia : सद्गुरु कृपा से असम्भव कार्य भी होता है सम्भव : गौरांगी गौरी

सिकंदरपुर (बलिया)। जिस घर में पतिव्रता स्त्री हो और उसी घर में राक्षसी वृत्ति उतर जाय तो उस पतिव्रता का क्या हाल होगा? जालन्धर की पतिव्रता पत्नी वृन्दा के साथ यही हुआ, वृन्दा छली गयी। जब उसे अपने साथ हुए छल का पता चला कि उसके पति जालन्धर के वेश में परपुरुष ने उसके साथ छल किया तो उसने शाप दे दिया। छलिया ने भी उसे कास्पति होने का शाप दे डाला, उसने यह भी कहा कि तुम्हारे बिना मेरा भोग नहीं लगेगा। फलतः छलिया तो शालिग्राम पत्थर हुआ और वृन्दा ने अपने सतीत्व बल से स्वशरीर को भस्म कर दिया। उसकी भस्मी से एक पौधा निकला जिसे ’तुलसी’ नाम से जाना गया। घर में तुलसी का पौधा होने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। कहा कि सद्गुरु महिमा का बखान सबने किया है। वे महानता में ब्रह्मादिक पञ्चब्रह्म और अक्षर ब्रह्म से भी परे स्थित परब्रह्म के समतुल्य हैं। गुरु की आज्ञा मानने वाला लोक-परलोक में सर्वत्र सर्वदा सुखी-सानन्द रहता है। सद्गुरु के आगमन स जीवनधारा सकारात्मक दिशा में मुड़ जाती है। सद्गुरु-कृपा से असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। गौरांगी जी ने भगवान के अवतार के सम्बन्ध में कहा कि वे धर्म-रक्षार्थ हर युग में अवतार लेते हैं। भक्तों का भवभय दूर करना उनका मुख्य प्रयोजन होता है। भगवान को नवमी तिथि प्यारी है। कृष्ण का प्राकट्य अष्टमी तिथि में भले हुआ किन्तु उसे नवमी तिथि में ही जाना गया तथा राम का प्राकट्य तो नवमी तिथि में हुआ ही। वस्तुतः नौ पूर्णांक है। रसघर परमात्मा की रसमयी कथा सुनाकर गौरांगी जी ने सबको भाव-विभोर कर दिया। अन्ततः गुरु आरती और प्रसाद वितरण किया गया।
रमेश जायसवाल

