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Ballia : चरौंवा बलिदान दिवस: ब्रिटिश फौज से भिड़े बलिया के वीर, मकतुलिया मालिन ने कैप्टन पर दे मारी हांड़ी

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बलिया। जहां ब्रिटिश फौज के कैप्टन मूर के सिर पर गांव की मकतुलिया मालिन ने करीखहीं हांड़ी दे मारी, वहीं खरबियार बाँस की बनी खंचियां लेकर मशीनगन की गोलियों को रोकने लगे। 23 अगस्त 1942 को हुए इस संघर्ष की गाथा आज भी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि 23 अगस्त 42 को आजमगढ़ से कैप्टन मूर के नेतृत्व में 40 मशीनगनधारी फौजियों की टीम रसड़ा से बेल्थरारोड की ओर गाँवों में दहशत फैलाते हुए बढ़ रही थी। चरौंवा गाँव में स्वाधीनता सेनानी मंगला सिंह का मकान था, जो इलाके के रसूखदार माने जाते थे। डीएम जे.निगम ने सक्रिय सेनानियों की पूरी जानकारी डिप्टी कलेक्टर रामलगन सिंह के माध्यम से बनारस कमिश्नर को भेजी थी।


खबर मिलते ही मंगला सिंह घर के पिछवाड़े से खेतों की ओर भागे, लेकिन ब्रिटिश फौज ने गोलियों से उन्हें छलनी कर दिया। गोलियों की आवाज सुनते ही खरबियार ने देखा कि मशीनगन से सैकड़ों गोलियां निकल रही हैं। वह लाठी छोड़कर खंचिया (बाँस की बनी ढाल) उठा लिए और मोर्चे पर डट गए। लड़ते-लड़ते वे भी वीरगति को प्राप्त हुए।
इसी बीच गाँव की 60 वर्षीय मकतुलिया मालिन खून-खराबा देखकर उत्तेजित हो गईं। उन्होंने करीखहीं हांड़ी उठाकर कैप्टन मूर के सिर पर दे मारी और शहादत को प्राप्त हुईं।


श्री कौशिकेय बताते हैं कि इसी दिन उभांव थाने पर अधिकार के लिए स्वराज सरकार के कप्तान महानंद मिश्र और उपकप्तान विश्वनाथ चौबे वहाँ पहुँचे थे। बेल्थरारोड रेलवे स्टेशन पर रेल लाइन उखाड़ते समय अतवारु राजभर शहीद हो गए।
अमर शहीद मंगला सिंह, चन्द्रदीप सिंह, मकतुलिया मालिन और खरबियार की शहादत की याद में यहाँ हर साल शहीद मेला आयोजित होता है।

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