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Ballia : चिकित्सक के मौत के मामले में डाक्टरों ने ठप की स्वास्थ्य सेवाएं, की न्याय की मांग

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बांसडीह (बलिया)। सोमवार शाम स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के अधीक्षक डॉ विंकटेश मौआर की वाराणसी में उपचार के अभाव में हुई मौत के बाद मंगलवार को सीएचसी परिसर में चिकित्सकों ने अधीक्षक डॉ वेंकटेश मौआर को श्रद्धांजलि अर्पित कर ओपीडी सेवा अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया। वही इस प्रकरण को लेकर क्षेत्र के सभी पीएचसी और सीएचसी के स्वास्थ कर्मियों ने सीएचसी परिसर में पांच सूत्रीय मांगों के लेकर धरने पर बैठ गए।
चिकित्सकों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संजीव बर्मन व डीएम एसपी को पत्र देकर मांग किया है कि मामले की न्यायिक जांच हो और सीएचसी में संचालित फार्मेसी के संचालक पर मुकदमा दर्ज किया जाय। चिकित्सकों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर मौआर को साज़िश के तहत फंसाया गया है। उनकी स्वाभाविक मृत्यु नहीं हत्या हुई है। साथ ही फार्मेसी के नाम की आड़ में सीएचसी बांसडीह पर संचालक द्वारा होने वाली गुंडई बंद हो। फार्मेसी के काउंटर को अस्पताल परिसर से दूर हटाए, सीएचसी बांसडीह को दलालों और गुंडों से बचाने हेतु सार्थक उपाय किए जाय।
चिकित्सकों ने आरोप लगाया कि फार्मेसी के संचालक द्वारा आए दिन चिकित्सकों से दुर्व्यवहार किया जाता है। फार्मेसी की दवाएं लिखने के लिए लगातार दबाव बनाया जाता है, नहीं करने पर गोली मारने तक की धमकी दी जाती है। चिकित्सकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सोमवार को अमृत फार्मेसी के संचालक कुछ लोगों के साथ आये और डॉक्टरों को धमकी देकर कहा कि फार्मेसी की दवा नही लिखे तो गोली मार देंगे। इसके साथ ही कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इससे कर्मचारी काफी भयभीत है।
चिकित्सकों ने मांग की है कि अस्पताल परिसर से फार्मेसी को तत्काल हटाया जाए और संबंधित लोगों के खिलाफ कारवाई हो। अन्यथा इस कार्रवाई के होने तक बांसडीह में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।

वाराणसी में बिना इलाज के हुई डाक्टर की मौत तो रोकी इमरजेंसी सेवा
बांसडीह सीएचसी में उपचार सेवाओं को पूर्णतः बंद करने को लेकर जब चिकित्सकों से इसका कारण पूछा गया तो उनका स्पष्ट रूप से कहना था कि जब हमारे डाक्टर की इलाज के अभाव में मौत हो गयी तो हम कैसे किसी और का इलाज कर सकते हैं। जिस डाक्टर ने मरीजों के लिए कभी दिन रात और अपने स्वास्थ्य की परवाह नही किया उस डॉक्टर की उपचार के अभाव में हुई मौत गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है। उनकी पत्नी जेल के अधिकारियों से इलाज के लिए गुहार लगाती रही लेकिन उनके द्वारा बरती गयी लापरवाही से डॉक्टर मौआर की इलाज के अभाव में मौत हो गई। लिहाजा इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य संबंधित लापरवाही बरतने वाले लोगों पर कार्रवाई कराना है।

सीएमओ ने स्वास्थ कर्मियों का पत्रक लेने से इनकार के बाद भड़का चिकित्सकों का क्रोध
डॉक्टर के मौत के मामले में उस समय हंगामे की स्थिति बन गयी जब सीएमओ ने आंदोलित डाक्टरों से जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देने के लिए कहा तो डाक्टर व कर्मचारी आक्रोशित हो उठे और सीएमओ से भिड़ गये। आरोप लगाया कि जानबूझकर मामले से दूरी बनाई जा रही है। डाक्टर क्यों जिलाधिकारी के पास जाएं। यह काम विभाग के मुखिया का है कि उनकी शिकायत डीएम को कारवाई के लिए अग्रसारित करें। इसी दौरान इस बातचीत के बीच मौके पर उपस्थित आमजनता ने भी सीएमओ से कहासुनी शुरू कर दी और अचानक से ऐसा हंगामे का माहौल बना की सीएमओ वहां से भागने लगे। इसके बाद डाक्टर के रेस्ट रूम में घुसने के बाद ही जनता ने उनका पीछा छोड़ा।
मामले में सीएमओ ने कारवाई का आश्वासन दिया तो डॉक्टरों ने भी स्पष्ट कर दिया कि जब तक कारवाई नही होगी। तब तक ओपीडी सेवाएं बहाल नही होंगी। सीएमओ ने चिकित्सकों को आश्वस्त किया कि सात दिनों के अंदर प्रभावी कार्यवाही दिखेगी,फॉर्मेसी के संचालक के खिलाफ जांच के बाद आवश्यक कार्यवाही को जाएगी, इसके बाद सीएमओ वहां से चले गए।

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