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Ballia : अपना जीवन सादगी और उच्च विचारों के साथ करें व्यतीत: रामा अनुज

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बेरुआरबारी (बलिया)। भगवान को भक्तों के मन की भावना और समर्पण अधिक प्रिय होता है, न कि भौतिक वस्तुओं या भोग-विलासिता। उक्त बाते क्षेत्र के गोपालुरकला में मां काली के प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय श्री शतचंडी महायज्ञ के दौरान वृन्दावन से पधारे कथा वाचक रामा अनुज सत्यम कृष्णा शुक्ला जी महराज ने कहा कि भाव से की गई पूजा, भक्ति और प्रेम भगवान को अधिक आकर्षित करते हैं।

श्री शुक्ल ने कहा कि भगवान श्रीराम को विष्णु भगवान का सातवां अवतार माना जाता है। राम जी ने अपना पूरा जीवन एक आम इंसान की तरह ही गुजारा और उन्होंने पूरे जीवनकाल में कभी भी किसी भी प्रकार की मर्यादा को पार नहीं किया, इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम कहा गया। उन्होंने अपना जीवन सादगी और उच्च विचारों के साथ व्यतीत किया। अगर कोई व्यक्ति उनके द्वारा अपनाये गए मूल्यों या उनके द्वारा अपनाये गए विचारों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करता है तो वर्तमान परिस्थिति में भी वो अपना जीवन सुख, समृद्धि और समाज में अपनी पहचान बना के जी सकता है। यज्ञ में क्षेत्र के रोजाना सैकड़ों भक्तों की भीड़ लग रही हैं। वही मंडप परिक्रमा व मंत्रोचारण के बीच हवन मंत्रोच्चारण के बीच सम्पन्न कराए जा रहे हैं।

यज्ञकर्ता पं. अमितानंद उपाध्याय ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, हवन करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है। अग्नि किसी भी पदार्थ के गुणों को कई गुना बढ़ा देती है। पूजा के बाद हवन करने का मुख्य कारण यह भी है कि हवन से उत्पन्न होने वाला धुआं और उष्मा से वातावरण शुद्ध होता है। यह वातावरण को शुद्ध करता है, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। हवन करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, सुख-समृद्धि आती है, और मन को शांति मिलती है। इस समय यज्ञ में लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

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