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Ballia : दो पूर्व मंत्रियों का जनसंपर्क और तीसरे की चुप्पी

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श्मशान घाट से लगायत लोगों के दरवाजे पर पहुंचकर दे रहे दिलासा
रोशन जायसवाल
बलिया।
बलिया ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में फेफना विधानसभा हमेशा सुर्खियों में रहता है। यहां से कभी गौरी भईया मंत्री थे। उसके बाद फेफना की जनता ने सपा के अंबिका चौधरी एवं भाजपा के उपेन्द्र तिवारी को जीताकर विधानसभा में भेजा और वह सरकार में मंत्री बने। यह तो रही पुरानी बात। वर्तमान समय में दो पूर्व मंत्रियों के जनसंपर्क से फेफना की सियासत में गर्माहट आ गई है।
मजे की बात यह है कि जनता के बीच दावा ठोक रहे दोनो पूर्व मंत्री फेफना नहीं, बल्कि बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र के निवासी है। वहीं, हमेशा राजनैतिक सुर्खियों में रहने वाले तीसरे पूर्व मंत्री चुप्पी साधे हुए है। वैसे, पूर्व मंत्री का चुप्पी भी गजब का संदेश दे रही है। इधर, दोनो पूर्व मंत्री श्मशान घाट से लगायत लोगों के दरवाजे पर पहुंच रहे है। यही नहीं, स्वागत समारोह, भोज एवं नेवता भी हो रहा है।

दोनो पूर्व मंत्रियों के समर्थक अपने-अपने नेताओं का टेम्पो हाई करते हुए टिकट पाने का दावा भी कर रहे है। गड़वार चट्टी पर एक पूर्व मंत्री के बारे में यह चर्चा हो रही थी कि क्षेत्र में दौरा करने से पहले प्रोटोकाल जारी होता था। वहीं, दूसरे पूर्व मंत्री बिना प्रोटोकाल के ही जनता के बीच पहुंच रहे है। फेफना विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों तीन पूर्व मंत्री राजनैतिक सुर्खियों में है। वहीं, दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पुत्रवधु डॉ. सुषमा शेखर के जनसंपर्क को लेकर कवायद लगायी जा रही है कि वह भी चुनाव मैदान में हो सकती है। क्योकि क्षेत्र में इनकी होर्डिंग-पोस्टर भी देखे जा रहे है।

पूर्व मंत्री को आखिर क्यो छोड़ना पड़ा बलिया विधानसभा
बलिया। अब तो फेफना विधानसभा में यह भी चर्चा हो रही है कि अपने समय में समाजवाद का झंडा बुलंद करने वाले पूर्व मंत्री नारद राय ने आखिर बलिया नगर विधानसभा को छोड़कर फेफना को क्यो चुना है? इसके पीछे उनकी क्या मंशा है? इन दिनों पूर्व मंत्री लखनऊ से लगायत दिल्ली तक भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ दिखायी दे रहे है। वहीं, यह भी चर्चा हो रही है कि बलिया नगर विधानसभा से दो बार विधायक एवं दो बार मंत्री रहे नारद राय ने सपा क्यो छोड़ी? एक समय वह भी था जब वह सपा छोड़कर बसपा से नाता जोड़ा और चुनाव भी लड़े। लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर सपा का दामन थामा और 2022 में सपा ने भरोसा जताते हुए पूर्व मंत्री नारद राय को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली।

वैसे, पूर्व मंत्री नारद राय सपा से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उनके नाम पर पार्टी ने विचार नहीं किया। इसके चलते उन्होंने सपा छोड़ दी। दूसरा कारण यह भी बताया जाता है कि सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव के दौरान मंच से पूर्व मंत्री नारद राय का नाम नहीं लिया। इसलिए उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। अब देखना यह है कि पूर्व मंत्री नारद राय का भाजपा में राजनीतिक भविष्य कितना उज्जवल होगा।

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