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Ballia : ददरी मेले में लौटी रौनक, उमड़ी भीड़ से गुलजार हुआ मेला परिसर

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अधूरी तैयारियों के बीच सजी दुकानों पर हुई जोरदार खरीदारी, मौत का कुंआ और जलपरी शो की तैयारियां तेज
बलिया। पूर्वांचल के ऐतिहासिक ददरी मेले में इस बार फिर से रौनक लौटने लगी है। मंगलवार को मेला परिसर में मेलार्थियों की खासी भीड़ उमड़ी रही। दुकानों पर खरीदारी करने वालों का तांता लगा रहा तो झूले और चरखी पर झूलने के लिए बच्चों से लेकर युवाओं तक में खासा उत्साह देखा गया।
हालांकि मेला परिसर में अब भी कई जगहों पर तैयारियां अधूरी दिखीं। बिजली विभाग की ओर से पोल और तार बिछाने का काम शाम तक जारी रहा। फिलहाल मेले में जरनेटर के सहारे बिजली आपूर्ति की जा रही है। फिर भी लोगों में मेले को लेकर उत्साह कम नहीं दिखा।

इंडोनेशिया और रूस से आएंगी जलपरी
बलिया। ददरी मेला में जल परी का लाइव शो पहली बार होगा। इसके लिए इंडोनेशिया व रूस की जलपरी आएंगी जो आकर्षण का मुख्य केंद्र रहेंगी। मेरठ से आए झूला संचालक शुभम गुप्ता ने बताया कि जलपरी के लिए पारदर्शी कैबिनेट तैयार किया जा रहा है। यहां तक कि मौत का झूला भी बनकर लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुका है। मेरठ से पांच बड़ी चरखी मेले में लगाई गई है। इनमें तीन चालू हो गया है। दो अन्य भी एक-दो दिन में चालू हो जाएगा। बिहार से आए जितेंद्र कुमार ने बताया कि अभी उनका घोड़ा वाला झूला असेंबल किया जा रहा है। मंगलवार तक वह भी आरंभ हो जाएगा।

घरेलू वस्तुओं की दुकानों पर रही भीड़
चीनी मिट्टी, लकड़ी के खिलौनों, स्टील के बर्तनों और घरेलू उपयोग की वस्तुओं की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ लगी रही। वहीं बच्चों के लिए खिलौने, गुब्बारे, मिठाई और झूलों की दुकानों पर चहल-पहल बनी रही।

सड़कें बनी परेशानी का सबब
मेला क्षेत्र में भीड़ बढ़ने के साथ ही ऊबड़-खाबड़ रास्तों ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी। कई स्थानों पर चलना मुश्किल रहा, जिससे आने-जाने में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

सजने लगा मौत का कुंआ और जलपरी का शो
ददरी मेला अब अपने पूरे रंग में आने को तैयार है। अगले दो-चार दिनों में मेला अपने पूरे शुमार पर नजर आएगा। मेला परिसर में मौत का कुंआ और जलपरी शो लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस बार मेले में करीब 25 प्रकार के झूले लगाए जा रहे हैं, जिनमें बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए मनोरंजन का भरपूर इंतजाम होगा।
इसके अलावा टैटू बनवाने का ट्रेंड भी मेले में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पूर्व जमाने में गोदना की परंपरा अब लेटेस्ट डिजिटल टैटू तक पहुंच चुकी है। मेला परिसर में जहां आधुनिक टैटू की दुकानें सजी हैं, वहीं पारंपरिक गोदना गुदवाने वाले शिल्पी भी अपनी कला दिखा रहे हैं।

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