Ballia : चितबड़ागांव पुल निर्माण विवाद फिर गर्माया, किसानों ने रोका काम; मुआवज़ा, सीमांकन और गोलमाल के आरोपों के मामले ने पकड़ा तूल

चितबड़ागांव। स्थानीय टोंस नदी पर निर्माणाधीन पुल के एप्रोच मार्ग को लेकर सेतु निगम और राजस्व विभाग की कथित मनमानी से इलाके में आक्रोश गहराता जा रहा है। प्रभावित किसानों ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है, जिसके चलते सेतु निगम के लिए स्थिति जटिल हो गई है। किसानों का आरोप है कि निर्माण कार्य आरम्भ होते ही सेतु निगम के उच्च अधिकारियों ने सरकारी धन के बंदरबांट और भूमि खरीद में व्यापक गड़बड़ी शुरू कर दी थी।
जमीन खरीद और निर्माण में गंभीर अनियमितताओं का आरोप
किसानों ने आरोप लगाया है कि पुल निर्माण और एप्रोच मार्ग के लिए जमीन खरीद में बड़े पैमाने पर गोलमाल किया गया।बिना मुआवज़ा दिए एप्रोच मार्ग का निर्माण कर सीधे किसानों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। मार्ग को एलॉटमेंट के अनुरूप न बनाकर टेड़ा-मेढ़ा बनाया जा रहा है, जिससे किसानों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
सीमांकन पत्थर उखाड़े जाने पर भी कार्रवाई नहीं
एप्रोच मार्ग विवाद बढ़ने के बाद उपजिलाधिकारी सदर एवं सेतु निगम की संयुक्त टीम ने पुल के दोनों ओर सीमांकन कर पत्थर गाड़े थे। किसानों का कहना है कि एक काश्तकार ने इन पत्थरों को उखाड़ दिया, लेकिन राजस्व विभाग एवं सेतु निगम ने इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इसे लेकर क्षेत्र में प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

न्यायालय में वाद लंबित, फिर भी सीमांकन पर सवाल
एप्रोच मार्ग से सटे एक बाउंड्री को न तोड़ने का तर्क देते हुए सेतु निगम का कहना है कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। किसानों का प्रश्न है कि जब वाद अभी लंबित है तो प्रशासन और सेतु निगम ने सीमांकन कर पत्थर गाड़ने की प्रक्रिया कैसे पूरी कर ली? यह बिंदु ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय है।
भूमि मुआवज़े में करोड़ों के गोलमाल का आरोप
सूत्रों के अनुसार एप्रोच मार्ग निर्माण के लिए करीब 400 एयर भूमि की आवश्यकता थी, पर सेतु निगम ने इसके लिए 785 एयर भूमि की मांग शासन से भेजी।इससे लगभग 90 लाख रुपये के गोलमाल की आशंका जताई जा रही है। कई प्रभावित किसानों की जमीन अब तक नहीं खरीदी गई, जिससे विवाद और गहरा गया है।
तीसरे दिन भी निर्माण पूरी तरह ठप
तीसरे दिन भी एप्रोच मार्ग पर गिट्टी डालने का कार्य शुरू नहीं हो सका। हालांकि कर्मचारी मौजूद थे, लेकिन केवल दाहिनी ओर तीन मीटर सड़क निर्माण का प्रयास किया गया, जो किसानों की मांग के अनुसार मानक पूर्ण नहीं करता। आवागमन की समस्या वर्षों से ग्रामीणों की सबसे बड़ी चुनौती रही है।
किसानों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा डीएम कार्यालय
प्रभावित किसानों ने बुधवार को पुनः जिलाधिकारी बलिया से मिलने का प्रयास किया, लेकिन डीएम के अनुपस्थित होने पर उन्होंने उपजिलाधिकारी सदर तिमराज सिंह से मुलाकात की। किसानों ने अपनी समस्याएँ विस्तार से रखीं। उपजिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि समस्या के समाधान के लिए जल्द कदम उठाए जाएंगे।
ग्रामीणों में नाराज़गी, समाधान की मांग तेज
लगातार विवादो मुआवजा न मिलने, सीमांकन पर प्रश्नचिह्न और निर्माण रुकने से ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति नाराज़गी बढ़ती जा रही है।किसानों ने स्पष्ट कहा है कि यदि जल्द समाधान नहीं मिला, तो वे धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे। टोंस नदी पर बन रहा यह पुल क्षेत्र की जीवनरेखा साबित हो सकता है, लेकिन लगातार विवादों और अनियमितताओं के आरोपों के बीच निर्माण फिर अनिश्चितता में फंस गया है।

