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Ballia : ‘हां हम बिहारी है जी‘ गीत से छाया बलिया का युवा गीतकार अतुल राय

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गीत को मनोज तिवारी ने दी है आवाज, सोशल मीडिया पर मचा धमाल
बलिया।
माटी को सोना करने वाली कलाकारी हैं जी, हां हम बिहारी हैं जी, थोड़े संस्कारी हैं जी… बिहार में लोकतंत्र के उत्सव चुनाव और लोक आस्था के महापर्व छठ को उमंग के बीच यूपी के युवा गीतकार अतुल कुमार राय का यह गीत सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है। दो दिन पहले रिलीज हुए गीत को अबतक लाखों लोग देख चुके हैं। इंस्टाग्राम-फेसबक पर हजारों लोग इसे अपने रील्स और वीडियोज में इस्तेमाल कर रहे हैं।


बलिया के बांसडीहरोड क्षेत्र के भुइली निवासी अतुल के इस गीत को भोजपुरी स्टार और सांसद मनोज तिवारी मृदुल की आवाज ने नई पीढ़ी का बिहारी गौरव गीत बना दिया है। गीत की एक-एक पंक्ति में बिहार की गौरव गाथा को महसूस किया जा सकता है। बुद्ध का हम ताना-बाना, जैसे प्रिय लागे मखाना, हम हैं महाचीर की वाणी, आर्यभट्ट जैसे ग्यानी, अकेले चाणक्य जैसे सौ-सौ पे भारी हैं जी हां हम बिहारी हैं जी.. जैसी लाइन बिहार के ज्ञान-विज्ञान और बुद्धि का बखान करती है।

वहीं दिल्ली, बाम्बे, दुबई, लंदन, हमसे गुलजार रहते, सुरीनाम मारीशस के भी हम कहानी कहते, दुनिया में जहां भी जाते हैं, हम मेहनत से छा जाते हैं, डूबते सूरज को अर्घ्य चढ़ा, छठ की महिमा बतलाते, कुंवर सिंह, जेपी जैसे बागी क्रांतिकारी हैं जी, हां हम बिहारी हैं जी, जैसी पंक्ति बिहार के मेहनतकश लोगों के साथ ही आस्था और क्रांतिकारी तेवर को भी जीवंत करती है। अतुल कहते हैं, मैंने यह गीत सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि उस मिट्टी के सम्मान के लिए लिखा है, जिसमें नई पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत को जाने, उसके लिए बिहारी होना हीनता का भाव न हो बल्कि गौरव का भाव हो।

अपने पहले ही उपन्यास चांदपुर की चंदा के लिए युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार हासिल कर चुके अतुल राय पहले पहले भी भी कई कई सुपरहिट गाने दे चुके हैं, जिनमें सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे उपस्थित रहे हैं। अतुल ने बताया कि उनके पूर्वज मऊ से सौ वर्ष पहले यहां आकर बसे थे।

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