Ballia : बागियों का बलिया जिला कैसे होगा विकसित, योगेश्वर ने रखा सुझाव

रोशन जायसवाल,
बलिया। दो नदियों गंगा और सरयू से घिरा और यह महर्षि भृगु और दर्दर मुनि की तपोभूमि रहीं बलिया हमेशा विकास की बाट जोहता रहा है। यह वही धरती है जिस धरती ने 1857 क्रांति के नायक मंगल पांडेय को जन्म दिया। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी, लोकनारायण जयप्रकाश नारायण, बलिया शेरे चित्तू पांडेय, और साहित्यकारों ने आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, परशुराम चतुर्वेदी जैसे बड़े साहित्यकार जन्म लिये। आजादी में आगे और विकास में पीछे बलिया हमेशा राजनीतिक सुर्खियों में रहता है। विकास के मुद्दों पर बहस तो होती है लेकिन लक्ष्य की पूर्ति नहीं होती है।
इस सवाल पर समाजसेवी योगेश्वर सिंह कहते है कि उत्तर प्रदेश का बलिया एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला है, लेकिन यह अब तक अपेक्षित विकास नहीं कर पाया है। इसे विकसित जिला बनाने के लिए एक समग्र और रणनीतिक योजना की आवश्यकता होगी जिसमें निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना ज़रूरी है।
बुनियादी ढांचे का विकास
सड़क और परिवहन: अच्छी सड़कें, ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी क्षेत्रों से जोड़ने वाली सड़कें और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करना होगा।
रेलवे और जलमार्ग: बलिया गंगा नदी के किनारे है, जल परिवहन की संभावना को बढ़ावा दिया जा सकता है। रेलवे कनेक्टिविटी को और मजबूत करना होगा।
बिजली और जल आपूर्ति: 24 घंटे बिजली आपूर्ति और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना जरूरी है।
शिक्षा और कौशल विकास
उच्च शिक्षा संस्थान: इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन संस्थानों की स्थापना।
आईटीआई और पॉलिटेक्निक: युवाओं को तकनीकी शिक्षा और स्किल ट्रेनिंग देना ताकि वे रोजगार के लायक बन सकें।
डिजिटल शिक्षा: ग्रामीण स्कूलों को स्मार्ट क्लास और इंटरनेट से जोड़ा जाए।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक उपकरण और विशेषज्ञ डॉक्टरों से लैस करना।
मोबाइल हेल्थ यूनिट्स ग्रामीण इलाकों में भेजना।
मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर।
कृषि और ग्रामीण विकास
कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावारू जैसे कि चावल मिल, आटा मिल, फल-सब्जी प्रोसेसिंग यूनिट्स।
फसल बीमा, सिंचाई और मृदा परीक्षण सुविधाएं।
कृषक उत्पादक संगठन बनाना।
रोजगार और उद्योग
एमएसएमई (छोटे उद्योग) हब बनाना।
हथकरघा और हस्तशिल्प को बढ़ावा देना।
बलिया की विशिष्ट पहचान (जैसे चरखा, स्वतंत्रता सेनानी विरासत) से जुड़े पर्यटन को बढ़ावा देना।
पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत
चित्तू पांडेय, मंगल पांडेय जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को संग्रहालय और स्मारकों के माध्यम से दिखाना।
गंगा किनारे धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन को प्रोत्साहित करना।
प्रशासनिक पारदर्शिता और डिजिटल गवर्नेंस।
ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना जिससे सरकारी सेवाएं ऑनलाइन मिल सकें।
भ्रष्टाचार पर रोक और स्थानीय निकायों को सशक्त करना।
जनभागीदारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति
स्थानीय लोगों की भागीदारी के बिना कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती। लोगों को जागरूक और प्रशिक्षित करना होगा।
जनप्रतिनिधियों को दीर्घकालिक विकास पर फोकस करना होगा।
अगर ये कदम एकजुट होकर सरकार, प्रशासन, समाज और युवाओं द्वारा उठाए जाएं, तो बलिया आने वाले 10-15 वर्षों में एक विकसित जिला बन सकता है।

