Ballia : देश में लड़े जाने वाले जनांदोलनों के जनयोद्धा थे चितरंजन सिंह

बलिया। लोकतंत्र का कलंक आपातकाल और जनयोद्धा चितरंजन सिंह का जन्म जिले के सुल्तानपुर में संक्रांति के दिन हुआ था। इनकी माता धरोहर देवी व पिता शेरबहादुर सिंह थे। गांव के प्राइमरी स्कूल से शुरू हुई, कक्षा चार के बाद वाराणसी के क्वींस कॉलेज में दाखिला। वहीं से इंटरमीडिएट करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1974 में बलिया आकर वकालत करने लगे। तेज तर्रार चितरंजन सिंह बहुत कम समय में ही जिले के चर्चित वकीलों में गिने जाने लगे। पढ़ने के दौरान ही विश्वविद्यालय में हर जुर्म और अन्याय के खिलाफ मुखर आवाज बन गए।
80 के दशक में आईपीएफ का गठन हुआ। उसके नेतृत्व में शामिल रहे। उसके बाद पीयूसीएल और चितरंजन सिंह ने फिर पीछे मुड़ के नहीं देखा। फर्जी मुठभेड़ों, हिरासतों में मौतों, थर्ड डिग्री टॉर्चर, जनांदोलनों पर फायरिंग और पुलिसिया उत्पीड़न के विरूद्ध जो हिम्मत और निर्भीकता दिखाई वह विरले ही है। आखिरी दिनों में जब वह अस्वस्थ हुए तो अपने भाई मनोरंजन सिंह के पास जमशेदपुर चले गए और तकरीबन दस साल वहीं रहे। 2020 में वह गांव आए। करोना काल में उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ने लगी तो पहले बलिया फिर बनारस में उनका इलाज हुआ, लेकिन बचाया नहीं जा सका। 26 जून 2020 को उनका निधन हो गया।

गोष्ठी और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन आज
पीयूसीएल (लोक स्वातंत्रय संगठन) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और देश के जानेमाने मानवाधिकारवादी चिंतक चितरंजन सिंह की स्मृति दिवस पर गुरूवार को पूर्वाह्न 11 बजे से श्री मुरली मनोहर टाउन इंटर कालेज के सभागार में गोष्ठी और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है। इसमें लोकसूचिता में जनसंचार की भूमिका विषयक गोष्ठी में वक्ता अपने-अपने विचार व्यक्त करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जेपी विश्वविद्यालय सारण के पूर्व कुलपति डा. हरिकेश सिंह और वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र नाथ श्रीवास्तव शामिल होंगे।

