Ballia : 108 करोड़ रूपये खर्च हो गये, इसके बाद भी अधर में लटका खरीद दरौली पुल

रोशन जायसवाल,
बलिया। सिकंदरपुर विधानसभा क्षेत्र में यूपी व बिहार को जोड़ने वाली घाघरा नदी पर खरीद दरौली अधर में लटकी हुई है। इसके पीछे कारण यह है कि घाघरा नदी के कटान के कारण परियोजना ठप हो गई। इस परियोजना का शुभारंभ 2017 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी। क्षेत्रीय विधायक मो. रिजवी के आवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने क्षेत्रीय लोगो व विधायक के प्रस्ताव पर खरीद दरौली पुल निर्माण की घोषणा की थी। जिस समय पुल का काम शुरू हुआ उस वक्त 160 करोड़ रूपये का बजट बना और धन भी स्वीकृत हुआ।
इसमें सेतु निगम को 114 करोड़ जिसमें 28 पिलर का पुल बनाकर देना था। वहीं 46 करोड़ प्रांतीय खंड पीडब्ल्यूडी को एप्रोच बनाना था। 2020 में घाघरा में हुई कटान के चलते काफी संख्या में किसानों और काश्तकारों की जमीन कटान में विलीन हो गई। जब पुल का निर्माण चल रहा था तो खरीद से तीन किमी दरौली की दिशा की तरफ घाघरा नदी थी।

अब वर्तमान समय में दरौली से खरीद की तरफ तीन किमी आगे घाघरा नदी आ चुकी है। जिसके चलते सेतु निगम ने पुनः स्टीमेट बनाकर शासन को भेजा है। जिसमे 202 करोड़ एप्रोच के लिये और 330 करोड़ पुल निर्माण के लिये है। जबकि यह परियोजना आठ साल पहले लगभग 160 करोड़ रूपये की बनी थी। जिसमें 97 करोड़ सेतु निगम ने सिर्फ पुल के पायों के निर्माण पर खर्च कर दिया था, उस में भी दो पिलरों का निर्माण नहीं करा पाई है।
ऐसे में सूत्र यह बता रहे है कि प्रांतीय खंड पीडब्ल्यूडी ने 11 करोड़ रूपये जमीन खरीद से लेकर एप्रोच पर मिट्टी डालने पर खर्च कर दिया है। अब 372 करोड़ रूपये की फिर से स्टीमेट बनाकर शासन से बजट के लिये भेजा गया है। जिस समय 160 करोड़ रूपये की परियोजना बनी थी उस समय लगभग डेढ़ किमी की पुल थी। अब पुल की लंबाई बढ़ाते हुए लगभग दो किमी कर दिया गया है। अब देखना यह होगा कि सेतु निगम एवं पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड द्वारा भेजे गये शासन से धन प्राप्त होता है कि नहीं।
बोले ग्रामीण, ठोकर से ही बचेगा पुल
आसपास के लोगों की मानें तो उनका यह कहना है कि हर साल घाघरा नदी के कटान से उपजाऊ जमीनें नदी में समाहित हो रही है। पुल और एप्रोच को बचाने के लिये ठोकर का निर्माण जरूरी है। पहले बाढ़खंड विभाग ठोकर का निर्माण करें उसके बाद ही पुल और एप्रोच का निर्माण हो नहीं तो सरकारी का पैसा पानी में बर्बाद होगा।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि आठ साल से बाढ़ खंड विभाग घाघरा नदी के कटान को रोकने के लिये ठोकर का निर्माण नहीं करा पाया। इसके चलते लगभग 108 करोड़ रूपये सरकार के घाघरा नदी में पुल शोपीस बना हुआ है। अब सवाल यह उठ रहा है कि लगभग 160 करोड़ से बनी परियोजना का पैसा सेतु निगम और पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के पास है या नहीं। सूत्रों की मानें तो 108 रूपये खर्च हुए है तो 52 करोड़ रूपये सरकार के पास है या सेतु निगम और प्रांतीय खंड पीडब्ल्यूडी के पास है।

