Asarfi

Ballia : शनि मंदिर तोड़े जाने पर सियासी बवाल तेज, भाजपा नेताओं व व्यापारियों का जोरदार प्रदर्शन

width="500"

सिकन्दरपुर (बलिया)। कस्बे के किला पोखरा स्थित अद्भुत नाथ मंदिर के पास बने पुराने शनि मंदिर को प्रशासन द्वारा तोड़े जाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। शनिवार को इस विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया जब भाजपा नेताओं, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और सैकड़ों व्यापारियों ने एकजुट होकर तहसील परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन में शामिल हुए भाजपा नेता व व्यापारी
प्रदर्शन का नेतृत्व भाजपा जिला महामंत्री प्रयाग चौहान, सिकंदरपुर मंडल अध्यक्ष आकाश तिवारी और नवानगर मंडल अध्यक्ष क्षितिज प्रताप सिंह ने किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मंदिर को तोड़े जाने की तीव्र निंदा की। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि शनि मंदिर के चबूतरे का स्कूल या किसी अन्य सरकारी संस्था से कोई वास्ता नहीं था, फिर भी एक प्रार्थना पत्र के आधार पर मंदिर को गिरा दिया गया। उनका कहना है कि यह मंदिर और चबूतरा सैकड़ों साल पुराना है और यहां पर लंबे समय से धार्मिक गतिविधियां होती आ रही थीं।

एसडीएम से तीखी नोकझोंक
प्रदर्शन के दौरान भाजपा पदाधिकारियों और उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सुनील कुमार के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली। भाजपा नेताओं ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि मंदिर संरक्षक से जबरन सादे कागज पर हस्ताक्षर कराए गए। इसके अलावा, फूड इंस्पेक्टर और नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी की ओर से भेजे गए नोटिस व सैंपलिंग की प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाए गए।

प्रशासन की सफाई और असंतोष
एसडीएम सुनील कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि यह कार्यवाही पूर्व नियोजित थी और खाद्य विभाग को पहले से निर्देशित किया गया था। उन्होंने इसे नियमित प्रशासनिक कार्रवाई बताया, लेकिन भाजपा नेताओं और व्यापारियों ने इस सफाई को असंतोषजनक करार दिया, जिससे मौके पर तनाव और बढ़ गया।

आंदोलन की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर सोमवार तक मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने इसे केवल धार्मिक भावना का अपमान नहीं, बल्कि हिंदू आस्था पर हमला बताया।

प्रमुख प्रदर्शनकारी
इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से क्षितिज प्रताप सिंह, अविनाश मिश्रा, उमेश चंद्र, अवधेश सिंह, बजरंगी चौहान, कुलदीप चौबे, अमित साहू, रमेश गुप्ता, रविंद्र वर्मा, अनुज ओझा, भीम गुप्ता, संदीप राय, मैनेजर चौहान, राजेश चौहान, लाल बच्चन शर्मा, जितेंद्र सोनी, डॉ. उमेश, मनोज मोदनवाल सहित बड़ी संख्या में व्यापारी व कार्यकर्ता शामिल रहे।

राजनीतिक दबाव में प्रशासन
यह मामला अब केवल एक धार्मिक स्थल के विध्वंस का नहीं रहा, बल्कि प्रशासन के लिए राजनीतिक और सामाजिक दबाव का मुद्दा बन गया है। सोमवार तक प्रशासन की ओर से उठाए जाने वाले कदमों पर सबकी निगाहें टिकी हैं। अगर समाधान नहीं निकला, तो आने वाले दिनों में यह मामला और भी बड़ा रूप ले सकता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *