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Ballia : समस्त तीर्थों का तीर्थ है पश्चाताप: महामण्डलेश्वर स्वामी भास्करानन्द

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सिकंदरपुर (बलिया)।
तहसील क्षेत्र सिकन्द्रपुर स्थित सरयू तटवर्ती ग्राम डूहा बिहरा के प्रख्यात वनखण्डी नाथ (श्री नागेश्वर नाथ महादेव) मठ के पावन परिसर में उक्त मठ के संस्थाध्यक्ष पूज्य स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी जी महाराज द्वारा आयोजित चालीस दिवसीय एवं 108 कोटि होमात्मक आध्यात्मिक स्वरूप सम्पन्न अद्वैत शिवशक्ति राजसूय महायज्ञ में पधारे महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानन्द जी महाराज ने व्यासपीठ से श्री शिव पुराण के माध्यम से सुधी श्रोताओं को सम्बोधित किया। कथा में प्रवेश करने के पूर्व उन्होंने गुरु की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मनुष्य पर संसर्ग का गुण-दोष पड़ता ही पड़ता है, संसर्गजा दोष-गुणाः भवन्ति। अतः कच्चे गुरु का संग कभी मत करना, जब करना तो अच्छे परिपक्व ब्रह्मज्ञ गुरु का ही संग करना। सद्गुरु भगवत्स्वरूप होते हैं, इसलिए उनकी महिमा अपार है। ब्रह्म का चिन्तन करते-करते वे तद्रूप हो जाते हैं। उनकी कृपा से उनके शिष्य भी आत्म-स्वरूपस्थ हो जाते हैं। गुरु की कृपा, उनका अनुग्रह अमूल्य है। महान सन्तों की मान्यता है।सद्गुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचारि। किन्तु ध्यान रहे वैद्य और गुरु से कोई बात छिपायी नहीं जाती। स्वामी जी ने आगे कहा कि पापकर्म करने से क्षणिक सुख तो मिलता है किन्तु उसका परिणाम दुःखद होता है, जबकि पुण्यकर्म से पहले दुख होता है परन्तु अन्ततः उसका परिणाम सुखद होता है। इसलिए अच्छ व्यक्तियों का संग करो, कुसँग त्यागो। गोस्वामी जी का कथन है- ष्तजो रे मन होरे विमुखन को संग। कोई भी कर्म क्यों न हो, संकल्प से शुरू होता है, अतः संकल्प शुद्ध होना चाहिए। एक वक्ता ने कहा कि तीर्थों में जाने से पाप क्षय होता है, तब श्रोता ने पूछा कि सबसे बड़ा तीर्थ कौन है? उत्तर मिला समस्त तीर्थों में सर्वाेपरि तीर्थ है पश्चात्ताप। तुलसीदास जी कहते हैं अब लौं नसानी, अब ना नसैहों। आचार्य श्री ने विन्दुल ब्राह्मण की कथा के माध्यम से बताया कि बिन्दुल और उसकी पत्नी का चरित्र सन्देहास्पद था किन्तु एक दिन की कथा सुनने के प्रभाव से उसकी पत्नी सद्गति को प्राप्त हुई जबकि तन त्यागकर उसका पति प्रेत बनकर पर्वत शिखों पर पागलों जैसा आचरण करने लगा। पति का दुःख पत्नी से श्न सहा गया, उसने कथा का आयोजन किया। शिव कथा के अमित प्रभाव से विन्दुल भी सद्गति को प्राप्त हुआ।
रमेश जायसवाल

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