Ballia : ददरी मेला : भारतेंदु मंच पर कवियों की अद्भुत महफिल, देर रात तक गूंजती रही तालियां

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में छाया रहा काव्य समारोह
बलिया। ऐतिहासिक ददरी मेला के भारतेंदु मंच पर शुक्रवार रात आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देशभर के प्रख्यात कवि व कवयित्रियों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से ऐसा समां बांधा कि श्रोता देर रात तक मंच से चिपके रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ भाजपा जिला उपाध्यक्ष संजीत सिंह डम्पू, मंडल अध्यक्ष सोनी तिवारी और सिटी मजिस्ट्रेट आशाराम वर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस दौरान कवियों और कवयित्रियों को सुनने के लिये दर्शक देर रात तक जमे रहे।

अनामिका जैन अंबर ने बांधा समां
कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवयित्री अनामिका जैन अंबर ने अपनी मधुर व ओजपूर्ण प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी लोकप्रिय पंक्तियां “मेरे अंदाज को अपना अलग अंदाज दे देना, चली आऊंगी सब छोड़कर आवाज दे देना” और “चंदा से चकोरी की कभी बात ना होती, अगर तुमसे हमारी ये मुलाकात ना होती” पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं।

इनसेट
हास्य कवि शंभू शिखर का तड़का
हास्य रस के कवि शंभू शिखर ने अपनी चुटीली शैली में सामाजिक-राजनीतिक व्यंग्यों से हास्य का माहौल बना दिया। उन्होंने कहा “मोदी से मिलो वो तुम्हें भिखारी न कर दें, राहुल तुम्हें पदयात्री सवारी न कर दे” उनकी प्रस्तुति पर पूरा पंडाल ठहाकों से गूंज उठा।

कवि दमदार बनारसी ने अपनी शृंगार-पूरित पंक्तियों “पल्लू उतर गये ये दुपट्टे उतर गये, शर्मों हया के जहन से पर्दे उतर गये” से दर्शकों को खूब प्रभावित किया।
अन्य कवियों ने भी जमाया रंग
कवि सम्मेलन में दिनेश बावरा, गजेंद्र सोलंकी, धर्मप्रकाश मिश्र, नवल सुधांशु, बेबाक जौनपुरी, विजयलक्ष्मी शुक्ला, राधिका मित्तल, नमिता नमन, धर्मराज उपाध्याय, ओंकार शर्मा, डॉ प्रशांत सिंह और प्रशांत बजरंगी सहित कई प्रमुख कवियों ने भी अपनी विशिष्ट शैली में काव्य पाठ कर माहौल को भावपूर्ण बना दिया।

कवि सम्मेलन में पहुंचे दयाशंकर सिंह
वहीं कवि सम्मेलन में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने भी कवियों और कवयित्रियों की प्रस्तुति का भरपूर आनंद लिया। इस दौरान परिवहन मंत्री ने कवि सम्मेलन की व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया। इसके बाद उन्होंने कवयित्रि अनामिका जैन अंबर को सम्मानित भी किया।

देर रात तक चलता रहा काव्य-उत्सव
कवि सम्मेलन में वीर, शृंगार, हास्य, करुण, सामाजिक सभी रसों की कविताओं ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा। हर प्रस्तुति पर तालियों और वाहवाही की गूंज सुनाई दी। ददरी मेला का यह काव्य समारोह साहित्यिक रसिकों के लिए अविस्मरणीय रात साबित हुई।

